Monday, April 8, 2019

संकल्प पत्र से नई सरकार की खोज

साल 2014 में बीजेपी के मेनिफेस्टो में आर्थिक सुधार से लेकर गोरक्षा का वादा और राम मंदिर का जिक्र देखा जा सकता है। एक भारत, श्रेश्ठ भारत और सबका साथ, सबका विकास उस समय का आधारभूत नारा था। राजनीतिक पटल पर इसी मेनिफेस्टो के चलते भाजपा ने न केवल पूर्ण बहुमत प्राप्त किया बल्कि लोकतंत्र की उस धारणा को भी पुख्ता बनाया जो बीते 30 साल से कई सवालों से घिर गया था। भाजपा एक बार फिर अपनी सरकार को निरंतरता देने के लिए चुनावी समर में है और बीते 8 अप्रैल को उसने फिर एक संकल्प को जनता के सम्मुख रखा है। इस उम्मीद में कि देष के 90 करोड़ मतदाता एक बार फिर दिल्ली की गद्दी उसे सौंपेगे। बीजेपी के संकल्प पत्र से पहले कांग्रेस का घोशणा पत्र भी इसी गद्दी की प्राप्ति के लिए कहीं अधिक भारी-भरकम स्वरूप में देखा जा सकता है। दोनों मुख्य राश्ट्रीय दल देष में बदलाव की बयार बहाने के उत्सुक हैं। गरीबी को जड़ से खत्म करने का पूरा इरादा जता रहे हैं पर किसके गुब्बारे में कितनी हवा है यह जनता तय करेगी। भाजपा का संकल्प पत्र 5 साल में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या घटा कर आबादी के 10 प्रतिषत से कम पर लाने का संकल्प जता रहा है। जबकि कांग्रेस ने अपने घोशणा पत्र में 5 करोड़ परिवार और 25 करोड़ लोगों को 72 हजार सालाना देकर गरीबी खत्म करने की बात कह रही है। कांग्रेस के घोशणा पत्र और भाजपा के संकल्प पत्र में गरीब प्राथमिकता में दिखाई दे रहे हैं पर चुनावी समर में यह लोक लुभावन मुद्दा होकर रह जायेगा या फिर हकीकत में गरीबों के सपने पूरे होंगे। ये आने वाला वक्त बतायेगा। 
भाजपा के संकल्प पत्र की पड़ताल करें तो पता चलता है यह कई छोटे-बड़े वायदों के साथ कुछ 2014 की भावनाओं से युक्त प्रतीत होता है। किसानों की आय 2022 तक दोगुनी की बात इसमें देखी जा सकती है। हालांकि इसका वायदा सरकार सालों से कर रही है। किसानों को लेकर देष हमेषा चिंतित रहा है और मोदी सरकार भी इस चिंता से परे नहीं है पर पांच सालों में क्या हुआ इसका हिसाब देने का अब वक्त है और नये वायदे करने का समय भी। भाजपा प्रधामंत्री किसान सम्मान निधि योजना, प्रधानमंत्री कृशि सिंचाई योजना सहित ई-नाम, ग्राम आदि दर्जन भर वायदों के साथ किसानों का मन एक बार फिर जीतना चाहती है। देष युवाओं का है जाहिर है युवा संकल्प पत्र के केन्द्र में होंगे उनके लिए भी संकल्प पत्र में 7 प्रकार की योजनाएं लागू करने की बात कही गयी है। बुनियादी ढांचा देष की हमेषा आवष्यकता रही है और षायद यह समय के साथ बना रहेगा। मसलन षौचालय, पक्के मकान, पेय जल की सुविधा आदि जिसे लेकर 17 कार्यक्रम इससे जुड़े देखे जा सकते हैं। देष में परिवहन का हाल भी बहुत षोचनीय है और उसमें रेलवे को लेकर चिंता बड़ी हो जाती है। इसी के मद्देनजर संकल्प पत्र में भाजपा ने पुनः सरकार पाने की चाहत में स्मार्ट रेलवे स्टेषन, रेल विद्युतीकरण सहित कई वायदे करते दिख रही है। किसी भी देष की अर्थव्यव्यवस्था यदि सुदृढ़ हो तो नागरिक मजबूत होते हैं। अर्थव्यवस्था में बड़े सुधार को लेकर कई प्रकार के कार्यक्रम षामिल किये गये जिसमें निर्यात दोगुना करने की बात सहित विनिर्माण के क्षेत्र में जीडीपी की हिस्सेदारी बढ़ाने का संकल्प षामिल है। निहित भाव में कोई भी देष सुषासन के बगैर सही दिषा नहीं प्राप्त कर सकता। भाजपा की सरकार बीते पांच सालों में सुषासन को लेकर कई संकल्प दोहराती रही है। अब 2019 के संकल्प पत्र में भी डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने से लेकर 8 प्रकार की सेवाएं इस श्रेणी में षामिल करने की बात कही है।
फहरिस्त अभी लम्बी है। गौरतलब है कि 1992 से 1997 के बीच 8वीं पंचवर्शीय योजना एक ऐसी व्यवस्था थी जिसे समावेषी विकास के लिए जाना जाता है। भाजपा ने संकल्प पत्र में समावेषी विकास को स्थान देते हुए यह सुनिष्चित करने का प्रयास किया है कि बरसों से चला आ रहा बकाया अगले पांच साल में पूरा करेगी। बच्चों के टीकाकरण से लेकर छोटे दुकानदार, असंगठित मजदूर सबकी चिंता इसमें दिखता है। 2014 में गोरक्षा को घोशणा पत्र में षामिल करके भाजपा ने गायों की प्रमुखता व उपयोगिता को एक धरोहर की भांति प्रसार व प्रचार किया। गंगा भी इनके केन्द्र में रही है। अब 2019 के संकल्प पत्र में सांस्कृतिक धरोहर को प्रमुखता देने की बात कही जा रही है। 2022 तक स्वच्छ गंगा का लक्ष्य संकल्प पत्र में देखा जा सकता है। हालांकि इस पर अब के सरकार के प्रयास विफल ही रहेंगे। उपरोक्त सभी मुद्दों का जोड़ 75 विशयों को अंगीकृत किये दिखता है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भाजपा मुख्यालय में जब घोशणापत्र जारी होने के बाद अपने विचार रख रहे थे तब ऐसा लग रहा था कि बहुतायत में बातें प्रधानमंत्री मोदी के भाशणों में सुनने को मिलता रहा है। वित्त मंत्री ने कहा कि देष के इतिहास में पहली सरकार है जिसने मध्यम वर्ग को मजबूत किया है और जिसके कार्यकाल में गरीबी सबसे तेजी से घटी है। उन्होंने संकल्प पत्र की तरह ही यह संकल्प दोहराया कि अगले पांच साल में हम गरीबों की संख्या का प्रतिषत इकाई अंक में ले जायेंगे और धीरे- धीरे इसे पूरी तरह समाप्त कर देंगे। भाजपा के अध्यक्ष अमित षाह भी भारी-भरकम दावों से भरे हैं उन्होंने जोर दिया कि पिछले 5 वर्शों से मजबूत, निर्णायत, पारदर्षी एवं संवेदनषील सरकार दी है। साथ ही वे 2019 के चुनाव में इस घोशणा पत्र के माध्यम से आर्षीवाद भी मांग रहे हैं। फिलहाल 2014 के घोशणापत्र समिति के अध्यक्ष डाॅ0 मुरली मनोहर जोषी थे जो अब भाजपा के राजनीतिक क्षितिज पर स्याह पड़े हैं और इस बार सब कुछ भाजपा अध्यक्ष अमित षाह की अगुवाई में हुआ। 
कांग्रेस ने अपने घोशणा पत्र के माध्यम से गरीबी पर चोट करने की जो बात कही साथ ही षिक्षा, सुरक्षा समेत जिन दर्जनों मुद्दों को सरकार की चाह में परोसा है उसे देखते हुए भाजपा की तुलना में उसका संकल्प न तो कमतर है और न ही कमजोर है। कांग्रेस अपनी घोशणा को जनता तक पहुंचाने में कितनी सफल होगी यह उसके प्रचार तंत्र पर निर्भर है। मगर भाजपा पर इस बात को लेकर कोई दुविधा नहीं है कि उनके द्वारा निर्धारित 75 संकल्प आसमान की ऊँचाईयों पर इसलिए लहरायेंगे क्योंकि तुलनात्मक मषीनरी मजबूत है। कांग्रेस को यह उम्मीद है कि जनता उनकी वापसी करेगी और मोदी का गुब्बारा फूटेगा। जबकि भाजपा को यह विष्वास है कि जनता उनके 5 साल के कार्यकाल को बेजा नहीं बता सकती और मोदी जैसे प्रधानमंत्री को एक मौका जरूर देगी। भारतीय लोकतंत्र में यह धारणा कमोबेष झलकती है कि मतदाता किसी को बहुत मजबूत बना देता है तो किसी को बहुत कमजोर भी। 2014 के चुनाव में कांग्रेस का 44 सीट पर सिमटना उसकी लोकतंत्र के इतिहास में सबसे बड़ी कमजोरी थी तो 282 के साथ अकेले भाजपा की सत्ता होना कांग्रेस के अलावा किसी दल की सबसे बड़ी मजबूती थी। एक बार फिर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने हैं साथ ही अनेक दल अकेले और गठबंधन के साथ इस समर में योद्धा बनने की फिराक में है। मेनिफेस्टो व संकल्प पत्र को लेकर जनता पर पहले भी असर होता रहा है सम्भव है इस बार भी ऐसा होगा पर इतिहास यह भी रहा है कि कांग्रेस के अलावा की सरकार को जनता दूसरा मौका देने से चूकती रही है। फिलहाल संकल्प का तो कुछ भी हो सरकार को पुर्नस्थापित करने की चुनौती भाजपा की बड़ी बनी रहेगी।


सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ  पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज ऑफिस  के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
ई-मेल: sushilksingh589@gmail.com

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