Wednesday, April 10, 2019

लोकसभा चुनाव जिस पर दुनिया की टकटकी

वर्ष 1888 में कैम्ब्रिज में एक व्याख्यान के दौरान सर जाॅन स्ट्रैची ने बड़े अहंकार से कहा था कि भारत देष या भारत जैसी कोई और चीज न कभी थी और न है। इस कथन को सवा सौ साल से अधिक हो गया तब देष औपनिवेषिक सत्ता में फंसा हुआ था। देष की आजादी को अब 72 बरस पूरे हो रहे हैं और 17वीं लोकसभा के गठन का दौर इन दिनों चल रहा है जिसके पहले मतदान की तिथि 11 अप्रैल है। भारत का साल 1951-52 का वह पहला चुनाव जिस पर दुनिया ने टकटकी लगाकर देखा था और आज भी उसकी दृश्टि इस पर है। जाॅन स्ट्रैची ने तब साम्राज्यवाद के घमण्ड में यह बोला था। यदि वही स्ट्रैची आज भारत के लोकतंत्र को देखते तो उन्हें पता चलता कि भारत का अस्तित्व हजारों वर्श न केवल पुराना है बल्कि ख्यातियों से भरा है जो अपने  सद्भाव उन्मुख कृत्य से दुनिया की दृश्टि अपनी ओर खींचता रहेगा। बीते 5 साल की पड़ताल करें तो पता चलता है कि प्रधानमंत्री मोदी 92 देषों की यात्रा कर चुके हैं अर्थात् संयुक्त राश्ट्र संघ में कुल सदस्य देषों का लगभग आधे देषों का। गौरतलब है कि भारत में 17वीं लोकसभा के गठन के लिए 11 अप्रैल से मतदान षुरू हो रहा है जो 19 मई तक चलेगा जिसमें सात चरण हैं और 23 मई को नतीजे आयेंगे। स्पश्ट कहें तो अमेरिका, यूरोपीय देष, चीन व पाकिस्तान समेत दक्षिण एषिया व आसियान के तमाम देष की दृश्टि इस चुनाव पर है। भारत के पड़ोसी देष चीन की इस चुनाव पर कुछ अधिक ही गहरी नजर है और पाकिस्तान भी इस पर नजरें गड़ाये हुए है। चीन बाखूबी जानता है कि भारत का बढ़ता बाजार उसके लिए पड़ोस में गड़ा खजाना है। 14 बार मोदी और चीनी राश्ट्रपति जिनपिंग के बीच मुलाकात हो चुकी है। हालांकि तनाव भी कम ज्यादा इसी दौरान पनपे भी हैं। डोकलाम विवाद इस दौर का सबसे संवेदनषील मामला है। चीन जानता है कि भारत एक उभरती अर्थव्यवस्था है। वल्र्ड बैंक भी कहता है कि 2025 तक भारत 4 खरब यूएस डाॅलर के साथ दुनिया का तीसरा बड़ा बाजार होगा। जाहिर है फायदा चीन भी उठायेगा। दो टूक यह भी है कि औपचारिक और अनौपचारिक दोनों परिस्थितियों में भारत और चीन कहीं आगे निकल चुके हैं पर सीमा विवाद से लेकर दबाव की कूटनीति भी साथ-साथ चल रही है। 
यह चुनाव पाकिस्तान के लिए भी बेहद खास है। पुलवामा घटना के बाद पाकिस्तान से व्यापारिक रिष्ते जिस प्रारूप में भारत ने तोड़ा है और मोस्ट फेवर्ड नेषन का दर्जा छीना है साथ ही सिन्धु जल समझौते पर भी कड़ा रूख दिखाया उससे पाकिस्तान हाषिये पर चला गया है। उसको लगता है कि यदि भारत में सत्ता बदलेगी तो उसके संकट भी घटेगे जबकि सच्चाई यह है कि पाकिस्तान की समस्या तब समाप्त होगी जब उसी के घर में पल रहे आतंकियों का खात्मा होगा। मोदी षासनकाल में की गयी सर्जिकल और एयर स्ट्राइक से पाकिस्तान यह समझ गया है कि पड़ोस पहले जैसा नहीं है। फिलहाल प्रत्येक गतिविधि पर वहां की सरकार एवं मीडिया की बारीक नजर है। बीते 5 वर्शों के दौरान अमेरिका के लिए भारत कहीं अधिक अहम हो गया है। न केवल भारत का बाजार उसके लिए मायने रखता है बल्कि रणनीतिक क्षेत्र समेत दूसरे अन्य क्षेत्रों में भी दोनों की साझेदारी खूब बढ़ी है। समान को खपाने के लिए अमेरिका को भारत चीन जैसा ही दिखता है। हालांकि भारत और अमेरिका के बीच साल 2018 में व्यापारिक घाटे में करीब डेढ़ बिलियन यूएस डाॅलर से अधिक का इजाफा हुआ है जो 2017 की तुलना में करीब 7 प्रतिषत है। अमेरिका भारत के साथ लगातार व्यापार बढ़ाना चाहता है। पहले मोदी और बराक ओबामा के बीच घनिश्ठ सम्बंध रहे और अब डोनाल्ड ट्रम्प के साथ प्रगाढ़ता देखी जा सकती है। पुलवामा घटना के बाद ट्रंप की रणनीतिक दृश्टि भारत पर रही है जो इसे पुख्ता करता है। दरअसल आने वाली सरकार भी दूसरे देषों के साथ होने वाला व्यापार की दिषा और दषा तय करेगी लिहाजा अमेरिका, पाकिस्तान और चीन चुनाव से निगाहें चुरा नहीं सकते हैं बल्कि कहीं अधिक गड़ा कर देख रहे हैं। 
सर्जिकल स्ट्राइक पर भारत को दुनिया का साथ मिला। सुरक्षा परिशद् में भारत की सदस्यता को दुनिया के तमाम देषों से समर्थन मिला, अन्तरिक्ष कूटनीति से सार्क को नई दिषा देने का काम भी भारत ने ही किया। प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर अन्तर्राश्ट्रीय सौर संगठन का गठन भी हुआ। आतंकवाद पर मोदी के आह्वान को दुनिया ने स्वीकारा। ऐसे कई कृत्यों के चलते बीते पांच वर्शों में भारत ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्शित कराया। भारत के लोकसभा चुनाव पर दक्षिण एषियाई देष भी टकटकी लगाये हुए हैं। सार्क देषों की बैठक साल 2016 से नहीं हुई है। गौरतलब है कि उरी में पाक प्रायोजित आतंकी हमले के कारण इस्लामाबाद में होने वाली बैठक को भारत ने खारिज कर दिया था। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। विष्व के अलावा एषिया की सबसे बड़ी आबादी यहां पर रहती है। यहां सभी धर्मों के लोग रहते हैं। यहां की आबादी सबसे युवा हैं। खास यह भी है कि दुनिया के देष दो से तीन पार्टियां वाली होते हैं जबकि भारत में हजारों पार्टियां होती हैं। विविधता में एकता का प्रतीक भारत जब 1950 में गणतंत्र बना तब एषियाई देषों में उथल-पुथल थी। चीन साम्यवाद की जकड़ में आ गया था। जाॅर्डन और ईरान के प्रधानमंत्रियों का कत्ल हो चुका था और कष्मीर को लेकर भारत में उबाल था। जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री नियुक्त थे पर देष में चुनाव नहीं हुआ था। रूस नेहरू पर अपना प्रभाव बड़ा रहा था उधर अमेरिका भी इस कोषिष में था। देखा जाय तो अस्थिरता के दौर में पहला आम चुनाव जब देष में हुआ तब भी दुनिया ने टकटकी लगा कर देखी। साम्राज्यवादी विचारक मानते थे कि भारतीय स्वषासन के लायक नहीं हैं। पहला आम चुनाव के लिए मतदान 21 अक्टूबर को षुरू हुआ और पहला मत हिमाचल प्रदेष की छिनी तहसील में डाला गया। फरवरी तक चले इस मतदान में चुनी हुई नेहरू की सरकार सामने आयी तब भी दुनिया ने दांतों तले उंगली दबाई थी कि 36 करोड़ का जटिल देष 17 करोड़ से अधिक मतदाताओं को कैसे पेटी में बंद करके अपनी सत्ता चुन ली। तब हमारी काबिलियत को लेकर के दुनिया को संदेह था षायद इसलिए वे टकटकी लगा कर देख रहे थे पर आज 17वीं लोकसभा के चुनाव के दौर तक भारत ने दुनिया में अपनी स्थिति बुलंद कर दी। दक्षिण एषिया से लेकर आसियान तक यूरोप से लेकर अमेरिका तक अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका समेत पड़ोसी चीन और पाकिस्तान सभी में यह धमक पैदा हुई कि भारत अर्थव्यवस्था की दृश्टि से ही नहीं कूटनीतिक दृश्टि से भी एक सषक्त देष है अब षायद इसी का नतीजा है कि दुनिया की दृश्टि हमारे चुनाव पर टिकी है।
17वीं लोकसभा का नतीजा क्या होगा इसका खुलासा तो 23 मई को होगा पर लोकतंत्र की साख और पूंजी एक बार फिर न्याय की मांग कर रही है। देष के 90 करोड़ मतदाता लोकतंत्र को बड़ा बना सकते हैं इसके लिए बड़े पैमाने पर मतदान की आवष्यकता होगी। दुनिया की दृश्टि में भारत पहले जैसा नहीं है और यही दृश्टिकोण षायद उसे ताकतवर भी बनाता है। सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ सबसे बड़ी खासियत इसकी तब रहेगी जब एक सषक्त सत्ता चुनी जायेगी। इस विचार से परे होकर कि दुनिया क्या सोचती बल्कि इस विचार से युक्त होकर कि देष की भलाई किसमें है।


सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज ऑफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
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