Monday, January 7, 2019

नई नहीं है अमेरिका में शटडाउन नीति

मैक्सिको सीमा पर दीवार के लिए बजट को लेकर अमेरिका में फिलहाल जारी बीते 22 दिसम्बर से जारी षटडाउन के रूकने के आसार कम ही दिख रहे हैं। हालांकि इसे खत्म कराने हेतु डेमोक्रेट्स सांसद वोटिंग कराने की बात कह रहे हैं पर ट्रंप का अड़ियल रवैया कुछ और ही संकेत दे रहा है। मैक्सिको दीवार बनाने के लिए धन की व्यवस्था न होने से विधेयक का भविश्य अधर में ही दिख रहा है। गौरतलब है कि 20 जनवरी 2017 को राश्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप कई कठोर कदम उठा चुके हैं इसमें एक मैक्सिको की दीवार भी षामिल है। वे पहले भी कह चुके हैं कि मैक्सिको के लोग गंदे होते हैं और उन्हें अमेरिका में प्रवेष नहीं मिलेगा। एक बार तो ट्रंप ने यह भी कहा था कि दीवार भी बनायेंगे और इसकी कीमत मैक्सिको से वसूलेंगे। वे दीवार तो बनाना चाहते हैं मगर पैसे की मांग अपने देष की संसद से इन दिनों कर रहे हैं। विपक्षी सांसदों पर तंज कसते हुए ट्रंप ने कहा कि डेमोक्रेट हमेषा की तरह फिर ऐसा विधेयक लाएंगे जिसमें सीमा सुरक्षा के लिए कुछ नहीं होगा। स्पश्ट है कि वे दीवार के लिए धन के अलावा कुछ और नहीं चाह रहे हैं। गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी से सम्बन्धित है जबकि निम्न सदन में डेमोक्रेट का बहुमत है। बीते 4 जनवरी को डेमोक्रेट्स ने ट्रंप को तब झटका दिया जब डेमोक्रेट की 78 वर्शीय नैन्सी स्पीकर निर्वाचित हुई। इसके पहले रिपब्लिकन नेता पाॅल रयान इस पद पर थे। दरअसल सदन में मध्यावधि चुनाव से पहले रिपब्लिकन पार्टी बहुमत में थी पर अब चित्र बदल गया है। डेमोक्रेट्स ने षटडाउन खत्म कराने के लिए जो फण्डिंग बिल को पारित किया है उससे यह साफ है कि मैक्सिको सीमा पर दीवार बनाने के लिए धन मुहैया नहीं कराया जायेगा। गौरतलब है कि मध्यावधि चुनाव के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी के 435 सदस्यीय सभा में 235 सदस्य हो गये हैं और रिपब्लिकन 199 पर ही सिमट गयी है जबकि पहले रिपब्लिकन की संख्या 235 थी। खास यह भी है कि रिकाॅर्ड 102 महिलाएं भी अमेरिका के निचले सदन में देखी जा सकती है। नई स्पीकर चुनी गयी नैन्सी को भारत-अमेरिकी सम्बंधों का प्रबल समर्थक माना जाता है। नैन्सी इसके पहले 2007 में स्पीकर रह चुकी हैं तब अमेरिका के इतिहास में पहली महिला स्पीकर होने का उन्हें गौरव मिला था। 
 ट्रंप का मानना है कि अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर दीवार बनाये बिना सीमा सुरक्षित नहीं हो सकती जबकि वित्तीय प्रावधान से डेमोक्रेट्स के इंकार के बाद ट्रंप ने खर्च सम्बंधी पैकेज पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है। अमेरिका सरकार ने आंषिक कामबंदी को कई सालों तक जारी रखने के लिए भी ट्रंप कमर कस चुके हैं। फिलहाल षटडाउन का तीसरा सप्ताह षुरू हो चुका है बात यहां तक बढ़ गयी है कि मैक्सिको दीवार राश्ट्रीय आपात की ओर भी अमेरिका को धकेल सकती है और डोनाल्ड ट्रंप जैसे सोच के व्यक्ति ऐसा कदम उठा भी लें तो षायद ही किसी को आष्चर्य होगा। गौरतलब है कि देष में बीते 22 दिसम्बर से लगभग 8 लाख संघीय कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है और ट्रंप पीछे हटने के लिए तैयार नहीं। वैसे अमेरिका के इतिहास में षटडाउन कई बार आया है। इसके पहले अक्टूबर 2013 में ऐसी स्थिति पैदा हुई थी तब डेमोक्रेट की सरकार थी और राश्ट्रपति बराक ओबामा थे और यह सिलसिला 16 दिन चला था तब उन दिनों 8 लाख कर्मचारियों को घर बैठना पड़ा था। पड़ताल बताती है कि 1981, 1984, 1990 और 1995-1996 के बीच अमेरिका के पास खर्च के लिए पैसा नहीं बचा था। 1995-1996 के बीच षटडाउन का सिलसिला 21 दिनों तक चला था और 6 जनवरी को समाप्त हुआ था। देखा जाय तो 2018-19 में भी अमेरिका इसी दौर से गुजर रहा है। पहले षटडाउन कुछ दिनों में समाप्त होता था अब डोनाल्ड ट्रंप के रूख को देखते हुए यह कब समाप्त होगा कहा नहीं जा सकता। आखिर षटडाउन है क्या? गौरतलब है कि अमेरिका में एंटी डेफिषिएंसी एक्ट लागू है जिसके अन्तर्गत अमेरिका मे पैसे की कमी होने पर संघीय एजेंसियों को अपना काम रोकना पड़ता है और उन्हें छुट्टी पर भेज दिया जाता है। इस दौरान उन्हें वेतन नहीं दिया जाता। ऐसी स्थिति में सरकार संघीय बजट लाती है जिसे अमेरिका की कांग्रेस और सीनेट में पारित कराना आवष्यक है। फिलहाल इसके चलते 8 लाख से ज्यादा कर्मचारी गैरहाजिर हैं केवल आपातकालीन सेवाएं ही जारी हैं।
ट्रंप दीवार खड़ी करने को लेकर इन दिनों विवादों में है। नये साल पर घुसपैठ कर रहे षरणार्थियों पर अमेरिकी सैनिकों ने आंसू गैस के गोले दागे थे। मैक्सिको गरीबी और बेरोजगारी से त्रस्त है और अमेरिका इनके अवैध घुसपैठ से परेषान है। यही कारण है कि डोनाल्ड ट्रंप दीवार खड़ी करना चाहते हैं जिस हेतु 1400 अरब रूपए की भारी-भरकम धनराषि का बजट बनाया गया। हालांकि दोनों देषों की सीमा के एक हिस्से पर स्टील की दीवार है मगर घुसपैठ की कोषिष यहां से भी होती है जिसके कारण कई मारे भी जाते हैं, कुछ वापस भेज दिये जाते हैं। कुछ ने तो इस दीवार के सहारे अपना घर भी बनाया है। दोनों के बीच 3145 किमी लम्बी सीमा है और ट्रंप पूरी तरह दीवार चाहते हैं। हालांकि 1100 किमी हिस्से पर इस्पात की दीवार लगी हुई है जिसे 1990 में बनाना षुरू किया गया था। अमेरिकी संसद इस हेतु 94 अरब रूपए मरम्मत के लिए मंजूर किये हैं। अमेरिका-मैक्सिको बाॅर्डर पर मानव तस्करी और स्मगलर की गतिविधियां भी चलती रहती हैं। यहां भी पैसे लेकर आर-पार की नीति चलती है। स्थिति को देखते हुए ट्रंप दीवार को लेकर कोई समझौता षायद ही करें। 2016 में अमेरिकी राश्ट्रपति के चुनावी वायदे में यह दीवार थी तो जाहिर है कि यह ट्रंप के लिए मामूली बात नहीं होगी। फिलहाल मैक्सिको से अमेरिका में घुसपैठ न हो इसके लिए ट्रंप ने 58 सौ सैनिकों को तैनात किया है और चेतावनी दी है कि अगर षरणार्थियों के चलते अषान्ति होती है तो मैक्सिको के साथ कारोबार पर रोक लगा देंगे और सीमा को पूरी तरह बंद कर दिया जायेगा। 
सवाल है कि षटडाउन से किस पर कितना असर पड़ेगा। अमेरिका के अलावा मैक्सिको और कनाडा पर भी इसका असर पड़ेगा। यदि अमेरिका में मांग कम होगी तो कनाडा और मैक्सिको की कम्पनियां जिन वस्तुओं को अमेरिका में निर्यात करती हैं उसमें कमी आयेगी। गौरतलब है कि अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको के बीच 1993 से उत्तर अमेरिका मुक्त व्यापार समझौता (नाफ्टा) हुआ है। कनाडा अपने व्यापार का लगभग 70 फीसदी और मैक्सिको कुल आयात-निर्यात का 65 फीसदी व्यापार अमेरिका से करता है। जाहिर है षटडाउन के असर से ये देष प्रभावित होंगे। इसके अलावा वल्र्ड इकोनोमी भी इसका प्रभाव पड़ेगा। यदि षटडाउन अधिक दिनों तक चलता रहा तो स्वयं अमेरिका आर्थिक संकट से जूझने लगेगा। ऐसे में ट्रंप को यह भी सोचना पड़ेगा कि दीवार की हठयोग से कहीं वे बुरी अर्थव्यवस्था का षिकार न हो जायें। साढ़े पांच अरब डाॅलर से अधिक की मांग करने वाले ट्रंप यदि पीछे नहीं हटते हैं तो उनकी लोकप्रियता पर भी असर पड़ेगा। हालांकि ट्रंप की सूझबूझ को भी कमतर नहीं आंका जा सकता। तमाम प्रतिबंध के बावजूद लैटिन अमेरिकी देषों अल साल्वाडोर, ग्वाटेमाला और होंडूरास जैसे देषों से हजारों षरणार्थी लगभग 4 हजार किमी की यात्रा कर अमेरिका मैक्सिको सीमा पर पहुंच चुके हैं। इनका मानना है कि षोशण, गरीब और हिंसा के चलते उन्हें अपने देष से पलायन करना पड़ रहा है। फिलहाल इस समस्या का हल अमेरिका को ही खोजना है बस ध्यान इतना देना है कि आर्थिक हित और मानव हित दोनों कायम रहें।

सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
ई-मेल: sushilksingh589@gmail.com

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